मुंबई: जाने-माने निवेशक शंकर शर्मा का नाम आपने सुना ही होगा। वह जीक्वांट और फर्स्ट ग्लोबल के संस्थापक हैं। उन्होंने पिछले दिनों मुंबई की एक झुग्गी बस्ती का दौरा किया था। वहां उन्होंने एक छोटी सी वर्कशॉप देखी। उस वर्कशॉप में जिम के कुछ उपकरण बन रहे थे। उन उपकरणों की क्वालिटी और फिनिश काफी अच्छी दिख रही थी। ऐसा लग रहा था कि उन्हें खास तौर पर बनाया गया है। शर्मा को लगा कि भारत में अब 'मैन्युफैक्चरिंग' का काम तेजी से बढ़ने वाला है। उन्होंने सोचा कि अब भारत भी चीजें बनाने में आगे बढ़ेगा। लेकिन, वह मुगालते में थे। उनका यह सोचना ज्यादा देर तक नहीं टिका।सोशल मीडिया पर बताया
शर्मा ने सोशल मीडिया X पर लिखा, "मैंने उस आदमी से पूछा, 'क्या तुम सच में यह सब बना सकते हो?'" शर्मा ने आगे लिखा, "उसने जवाब दिया: 'सर, मैं चीन से इम्पोर्ट करता हूं और यहां पर उसे बस जोड़ता या असेंबल करता हूं। चीन की क्वालिटी, फिनिश और लुक का कोई मुकाबला नहीं है।"सोशल मीडिया पर बताया
शर्मा ने सोशल मीडिया X पर लिखा, "मैंने उस आदमी से पूछा, 'क्या तुम सच में यह सब बना सकते हो?'" शर्मा ने आगे लिखा, "उसने जवाब दिया: 'सर, मैं चीन से इम्पोर्ट करता हूं और यहां पर उसे बस जोड़ता या असेंबल करता हूं। चीन की क्वालिटी, फिनिश और लुक का कोई मुकाबला नहीं है।"
मेक इन इंडिया की हकीकत!
उस आदमी के जवाब ने शर्मा को भारत में 'मेक इन इंडिया' की हकीकत दिखा दी। भारत में मैन्युफैक्चरिंग को लेकर जो बातें हो रही थीं, वह सब उस जवाब से फीकी पड़ गईं। शर्मा ने कहा, "यह कल की सच्ची कहानी है।" बहुत से लोगों के लिए यह आज की भी कहानी है। ऊपर से देखने पर सब ठीक लगता है, लेकिन सच यह है कि हम अभी भी इम्पोर्ट पर निर्भर हैं।लोगों ने दी अपनी राय
शंकर शर्मा की इस बात पर बहुत से लोगों ने अपनी राय दी। बहुत से लोगों ने अपनी परेशानी बताई। 'मेक इन इंडिया' और 'चाइना+1' जैसे नारों के बावजूद, लोगों का कहना है कि असलियत में ज्यादा कुछ नहीं बदला है। एक यूजर ने जवाब दिया, "मुझे लगता है कि दुनिया को चीन के प्रति अपना रवैया बदलने की जरूरत है। हमें यह मान लेना चाहिए कि चीन ने सबको हरा दिया है।"
चीन जैसी क्वालिटी बना ही नहीं सकते
एक और यूजर ने लिखा, "हम रोजमर्रा की चीजें भी चीन जैसी क्वालिटी की नहीं बना सकते। नेल कटर की बात करें, लगेज या बाथरूम में वजन मापने की मशीन। कार और इलेक्ट्रॉनिक्स तो बहुत दूर की बात है।" यह निराशा बहुत गहरी है। भारत, अपनी बढ़ती हुई महत्वाकांक्षाओं के बावजूद, अभी भी चीन से बहुत ज्यादा सामान खरीदता है। हम सिर्फ स्मार्टफोन या सोलर पैनल ही नहीं, बल्कि घर में इस्तेमाल होने वाली चीजें भी चीन से खरीदते हैं।भारत के लिए मौका
अमेरिका ने चीन पर 145 फीसदी तक
टैरिफ लगा दिया है। लेकिन भारत को नए नियमों में कुछ छूट मिली है। यह भारत के लिए एक अच्छा मौका है, लेकिन क्या हम तैयार हैं? शर्मा की यह बात ऐसे समय में सामने आई है जब भारत को ग्लोबल सप्लाई चेन में एक मजबूत दावेदार माना जा रहा है। यह बदलाव COVID-19 महामारी के दौरान शुरू हुआ था। फिर अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ने से यह और भी तेज हो गया।